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छत्तीसगढ़ी राउत नाच दोहा |

 


                                दोहे


1.ये चित्रकूट के घाट में ,भय सन्तन के भीड़ हो ।
  तुलसी दास चन्दन घिसय ,अउ तिलक लेत रघुबीर हो।।

2.अड़गा टूटे बड़गा टूटे, अउ बीच म भूरी गाय हो।
  उहां ले निकले नन्द कन्हैया, भागे भूत मसान हो।।


3.हाट गेंव बाजार गेंव, उँहा ले लाएव लाड़ू रे।
  एक लाड़ू मार परेव, राम राम साढू रे।।

4.चन्दरपुर के चन्द्रहासनी ल सुमरौं, डोंगरगढ़ बमलाई ल।
  रावणभाठा के बंजारी ल सुमरौं ,रायपुर के महाकाली ल।।

5.कागा कोयली दुई झन भईया ,अउ बइठे आमा के डार हो।
 कोन कागा कोन कोयली, के बोली से पहचान हो।।

6.भरे गांव गितकेरा  बाबू ,बहुते उपजे बोहार हो।
  पाइया लागव बंसी वाले के, झोकव मोरो जोहार हो।।

7.जै जै सीता राम के भैया, जै जै लक्षमण बलवान हो।
 जै कपि सुग्रीव के भईया ,कहत चलै हनुमान हो।।

8.बाजत आवय बासुरी, अउ उड़त आवय धूल हो।
  नाचत आवय नन्द कन्हैया, खोचे कमल के फूल हो।।

9.सबके लाठी रिंगि चिंगी, मोर लाठी कुसवा रे।
  नवा नवा बाई लाएव, उहू ल लेगे मुसवा रे।।

10.आगे देवारी तिहार रे भईया ,घर घर दिया जलाए हो।
   नवा नवा कपड़ा पहिने ,अउ घर आंगन सजाए हो।।

11.जय महामाई मोहबा के भईया, अखरा के गुरु बैताले ।
   चौसठ जोगनी जासल के भईया, भुजा म हो हौ सहारे।।

12.भाई दुलारे बहिनी, अउ बहिनी दुलारे भाई।
    मोला दुलारे मोर दाई दद, गोरस दूध पिलाए।।

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